न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या है? कैसे तय किया जाता है?
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न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या है? कैसे तय किया जाता है?

MSP Kya Hota hai , Full Form Of MSP Full Details in Hindi

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) एक सरकारी नीति है जो किसानों को फसल की लागत से अधिक कीमत प्राप्त करने में मदद करती है। MSP अधिसूचित फसलों के लिए न्यूनतम खरीद मूल्य के रूप में निर्धारित किया जाता है।


न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): इसका मतलब और 2024-25 की MSP फसलों की सूची

MSP Kya Hota hai , Full Form Of MSP Full Details in Hindi


MSP एक प्रकार की योजना होती है जो कि भारत सरकार के द्वारा चलाई जा रही है।

इस योजना के अंदर सरकार द्वारा कुछ चुनी हुई फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया होता है, किसान अपनी फसल को इस न्यूनतम समर्थन मूल्य पर या इस से अधिक पर फसल बेच सकता है।



इस योजना को सबसे पहले 24 दिसंबर 1964 में सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई थी लेकिन मंजूरी मिल जाने के बाद भी इस योजना को लागू नहीं किया गया था।

एमएसपी को मंजूरी मिलने के बाद वर्ष 1966-67 में सरकार द्वारा गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में जानकारी दी गई थी। इसी वर्ष पहली बार एमएसपी घोषित हुआ था और इसके बाद हर साल सरकार द्वारा कुछ मापदंडों का इस्तेमाल करके अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाने लगा।



एमएसपी कोई शब्द नहीं है बल्कि इसका एक फुल फॉर्म यानी पूर्ण रूप भी है, 'मिनिमम सपोर्ट प्राइस' Minimum Support Price यह एक अंग्रेजी शब्द है जिसे शॉर्ट फॉर्म में एमएसपी कहा जाता है। एमएसपी, मिनिमम सपोर्ट प्राइस और न्यूनतम समर्थन मूल्य तीनों ही शब्दों का अर्थ एक ही है।


एमएसपी (MSP) का आकलन कैसे किया जाता है?

एमएसपी का आकलन करने के लिए भारत सरकार एक विशेषज्ञ समिति का गठन करती है। यह समिति फसल की उत्पादन लागत, बाजार कीमतों, फसल के महत्व और अंतरराष्ट्रीय कीमतों जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करती है। समिति की सिफारिश के बाद सरकार एमएसपी की घोषणा करती है।

एमएसपी का आकलन करने के लिए निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखा जाता है:

  • फसल की उत्पादन लागत: एमएसपी का निर्धारण करते समय सबसे महत्वपूर्ण कारक फसल की उत्पादन लागत होती है। उत्पादन लागत में बीज, खाद, पानी, सिंचाई, मजदूरी, ऋण ब्याज, आदि शामिल होते हैं।

  • बाजार कीमतें: बाजार कीमतें भी एमएसपी के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यदि बाजार में फसल की कीमतें एमएसपी से अधिक हैं, तो सरकार किसानों को एमएसपी पर फसल नहीं खरीदती है।

  • फसल का महत्व: फसल के महत्व को भी एमएसपी के निर्धारण में ध्यान में रखा जाता है। कुछ फसलें, जैसे गेहूं और चावल, खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन फसलों के लिए एमएसपी अन्य फसलों की तुलना में अधिक होता है।

  • अंतरराष्ट्रीय कीमतें: अंतरराष्ट्रीय बाजार में फसल की कीमतें भी एमएसपी के निर्धारण में प्रभावित करती हैं। यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में फसल की कीमतें कम हैं, तो सरकार एमएसपी को कम कर सकती है।


MSP कौन तय करता है?

भारत सरकार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी निर्धारित करती है। CACP एक स्वतंत्र निकाय है जो कृषि लागत और मूल्यों पर अध्ययन करता है।


MSP (MSP) के लाभ

एमएसपी के कई लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • किसानों की आय में वृद्धि: एमएसपी किसानों को अपनी फसलों के लिए उचित मूल्य दिलाने में मदद करता है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।

  • खाद्य सुरक्षा: एमएसपी खाद्य सुरक्षा को भी बढ़ावा देता है। एमएसपी से किसानों को अपनी फसलों को उचित मूल्य पर बेचने में मदद मिलती है, जिससे वे उत्पादन को बढ़ावा देते हैं।

  • ग्रामीण विकास: एमएसपी ग्रामीण विकास में भी योगदान देता है। एमएसपी से किसानों की आय में वृद्धि होती है, जिससे वे अपने जीवन स्तर में सुधार कर सकते हैं।


2024-25 के लिए अधिसूचित फसलों की सूची:msp crops list 2024

रबी फसलें: गेहूं, चना, मसूर, सरसों, जौ, कुसुम
खरीफ फसलें: धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न: एमएसपी क्या है?

उत्तर: एमएसपी या न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत है जो भारत सरकार कुछ अधिसूचित फसलों के लिए न्यूनतम खरीद मूल्य के रूप में तय करती है। इसका मतलब है कि सरकार इन फसलों को एमएसपी से कम कीमत पर नहीं खरीदेगी, भले ही बाजार मूल्य इससे कम हो।

प्रश्न: एमएसपी किन फसलों के लिए लागू होता है?

उत्तर: एमएसपी 23 रबी फसलों और 24 खरीफ फसलों के लिए लागू होता है। कुछ प्रमुख फसलों में गेहूं, चावल, धान, कपास, सोयाबीन, मक्का, मूंगफली, उड़द, जौ, मसूर, तुअर आदि शामिल हैं।

प्रश्न: एमएसपी का निर्धारण कैसे किया जाता है?

उत्तर: एमएसपी का निर्धारण एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाता है, जो उत्पादन लागत, बाजार कीमतों, फसल के महत्व और अंतरराष्ट्रीय कीमतों जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करती है। समिति की सिफारिश के बाद सरकार एमएसपी की घोषणा करती है।

प्रश्न: एमएसपी किसानों की मदद कैसे करता है?

उत्तर: एमएसपी किसानों को उनकी फसल के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करता है, जिससे वे अपनी उत्पादन लागत को पूरा कर सकते हैं और लाभ कमा सकते हैं। इससे उनकी आय बढ़ती है और उन्हें बेहतर जीवन स्तर प्रदान करने में मदद मिलती है।

प्रश्न: एमएसपी की आलोचनाएँ क्या हैं?

उत्तर: कुछ लोग एमएसपी की आलोचना करते हैं कि यह सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ाता है और अनाज के सरकारी भंडारों में अतिरिक्त स्टॉक जमा करता है। कुछ का मानना है कि यह बाजार की दक्षता को प्रभावित करता है और नकली बिलिंग आदि प्रचलन को बढ़ावा देता है।

प्रश्न: एमएसपी को बेहतर बनाने के लिए क्या किया जा सकता है?

उत्तर: एमएसपी को अधिक प्रभावी बनाने के लिए सुझावों में शामिल हैं:

  • एमएसपी को वास्तविक लागत पर आधारित बनाने के लिए समय-समय पर अपडेट करना।

  • एमएसपी का लाभ सभी किसानों तक पहुंचाने के लिए बेहतर खरीद व्यवस्था और भंडारण सुविधाएं विकसित करना।

  • नकली बिलिंग रोकने के लिए कड़े उपाय करना।

  • एमएसपी के साथ-साथ बाजार सुधारों को लागू करना।

प्रश्न: क्या एमएसपी भविष्य में भी जारी रहेगा?

उत्तर: एमएसपी भारत सरकार की एक स्थापित नीति है और सरकार ने इसे जारी रखने का संकेत दिया है। हालांकि, सरकार समय-समय पर एमएसपी को सुधारने और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कदम उठा सकती है।

मुझे उम्मीद है कि इन सवालों के जवाब से आपको एमएसपी के बारे में बेहतर जानकारी मिली होगी। कृपया ध्यान दें कि ये जवाब सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं और विशिष्ट परिस्थितियों में भिन्न हो सकते हैं।

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