CaneUP गन्ना पर्ची कैलेंडर कैसे देखें? - MyKisan
उत्तर प्रदेश योगी सरकार के गन्ना विभाग ने गन्ना किसानों की सुविधा व पारदर्शिता ई गन्ना अप्प EGanna App और www.caneup.in Ganna Kisan net Portal शुरू किया है.यूपी गन्ना किसान पर्ची कैलेंडर 2024 caneup.in या e-ganna app से देखे.upcane.gov.in ganna payment Status 2024-25
Cane up.in Ganna calendar portal 2024-25:Kisan Net
गन्ने का पेमेंट कैसे देखें?
यूपी गन्ना किसान पर्ची कैलेंडर 2024 व अपने सट्टे से जुड़ी सारी जानकारी caneup.in web portal या e-Ganna App Download करके मोबाइल के जरिए पता कर सकता है। मोबाइल पर किसान पर्चियों के अलावा पिछले सालों के गन्ना सप्लाई की जानकारी भी ले सकते है।इससे किसानों को कोई काम होने पर गन्ना विभाग या शुगर फैक्टरी के चक्कर नहीं काटने होंगे। गन्ना भुगतान 2024
PM Kisan 17th installment not received: पीएम किसान का पैसा नहीं आया तो क्या करें?
PM Kisan Samman Nidhi Yojana पूरी तरह से केंद्र सरकार की योजना है. इसमें 100 फीसदी फंडिंग केंद्र सरकार देती है. यह योजना एक दिसंबर 2018 से प्रभावी हैpm kisan samman nidhi yojana online check status.know more about PM Kisan Registration Correction and Apply
यूपी गन्ना किसान पर्ची कैलेंडर कैसे देखे
PM Awas Yojana (PMAY-G) को Indra Awas Yojana(IAY) कहा जाता था. हालांकि मार्च 2016 में इसका नाम बदल दिया गया. इसका लक्ष्य दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर पूरे ग्रामीण भारत के लिए किफायती और सुगम हाउसिंग को बढ़ावा देना है.! और जानकारी
UP Agriculture: Caneup Ganna Portal
गन्ने का इतिहास
गन्ने का मूल स्थान भारतवर्ष है। पौराणिक कथाओं तथा भारत के प्राचीन ग्रन्थों में गन्ना व इससे तैयार की जाने वाली वस्तुओं का उल्लेख पाया जाता है। विश्व के मध्य पूर्वी देशों सहित अनेक स्थानों में भारत से ही इस उपयोगी पौधे को ले जाया गया। प्राचीन काल से गन्ना भारत में गुड़ तथा राब बनाने के काम आता था।
उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में जावा, हवाई, आस्ट्रेलिया आदि देशों में जब सफ़ेद दानेदार चीनी का उद्योग सफलतापूर्वक चल रहा था, भारतवर्ष में नील का व्यवसाय उन्नति पर था जो जर्मनी में रंग बनाने की नई तकनीक विकसित होने पर मन्द पड़ गया।
इस परिस्थिति का लाभ भारत में चीनी उद्योग की स्थापना को मिला। सन् 1920 में भारत के तत्कालीन गर्वनर जनरल ने चीनी व्यवसाय की उज्जवल भविष्य की कल्पना करते हुए इण्डियन शुगर कमेटी की स्थापना की थी। वर्ष 1930 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की गन्ना उप समिति की सिफारिश पर एक ’ टैरिफ बोर्ड ’ की स्थापना की गयी जिसने भारत सरकार से चीनी उद्योग को आरम्भ में 15 वर्षों के लिये संरक्षण देने की सिफारिश की, फलत: भारत में सन् 1931 में चीनी उद्योग को संरक्षण प्रदान किया गया।
उत्तर प्रदेश में यद्यपि देवरिया के प्रतापपुर नामक स्थान पर 1903 में ही भारत की प्रथम प्राचीनत् चीनी मिल स्थापित हो चुकी थी परन्तु गन्ना क्रय-विक्रय की कोई संस्थापित पद्धति के अभाव में गन्ना किसानों को अनेकों कठिनाईयॉं होती थीं। भारत सरकार द्वारा पारित शुगर केन एक्ट 1934 द्वारा प्रदेशीय सरकारों को किसी क्षेत्र को नियंत्रित करते हुये वैक्यूम पैन चीनी मिलों द्वारा प्रयुक्त होने वाले गन्ने के न्यूनतम मूल्य निर्धारित करने के लिये अधिकृत किया गया।
उत्तर प्रदेश में सन् 1935 में गन्ना विकास विभाग विभाग स्थापित हुआ। सरकार ने गन्ना कृषकों की मदद की दृष्टि से ’ शुगर फैक्ट्रीज़ कन्ट्रोल एक्ट 1938 ’ लागू किया। वर्ष 1953-54 में इसके स्थान पर ’ उ0प्र0 गन्ना पूर्ति एवं खरीद विनियमन अधिनियम 1953 ’ लागू हुआ।
गन्ना पर्ची कैलेंडर वैबसाइट फैक्टरी खोजे
गन्ना विभाग की वैबसाइट upcane.gov.in/caneup.in व e-Ganna App के अलावा भी किसान भाई गन्ना कैलेंडर पर्ची 2024 के आकडे देख पाएंगे ।
चीनी मिल्स की वैबसाइट लिस्ट :
1-www.kisaan.net
2-www.upsugarfed.org
3-www.krishakmitra.com
4-www.dsclsugar.com
5-www.bhlcane.com
6-www.bcmlcane.in
7-www.bcmlcane.com
8-www.bcmlcane.in/kisaansuvidha
9-www.gannakrishak.in
10-kisaansoochna.dwarikesh.com
11-krishakmitra.com
जनपद व चीनी मिल के हिसाब से पूरी लिस्ट देखे
ई-गन्ना एप पर देखें सर्वे का प्रदर्शन, दर्ज करें मोबाइल नंबर
ई-गन्ना एप पर देखें सर्वे का रिकॉर्ड (Ganna Survey 2024-25)
गन्ना विभाग ने किसानों से एप पर मोबाइल नंबर दर्ज करने की अपील की
मोबाइल नंबर दर्ज न होने पर इस बार पर्ची मिलने में आएगी समस्या
गन्ना विभाग ने किसानों द्वारा किए जाने वाले फसल की बुआई के लिए सर्वे पूरा करा लिया है। सर्वे पूरा होने के उपरांत विभाग ने उसका ब्योरा एप पर भी अपलोड करते हुए किसानों से उसे देखने को कहा है। यह भी कहा है कि यदि कहीं से भी कोई समस्या हो तो उसे विभाग से संपर्क कर ठीक करा लिया जाए। एसएमएस पर्ची की व्यवस्था को देखते हुए किसान अपने एप के माध्यम से मोबाइल नंबर भी दर्ज कर दें।
गन्ना विभाग ने हाल में पूरा कराए गए सर्वे के उपरांत उसमें आने वाली किसी प्रकार की समस्या को जानने व उसे ठीक कराने के लिए E-Ganna App के माध्यम से सर्वे का प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। किसानों से कहा गया है कि वे ई-गन्ना एप पर विभाग द्वारा जारी कोड डालकर अपने गन्ने की फसल की बुआई का क्षेत्रफल देख कमी होने की दशा में विभाग को जानकारी दें। यह भी कहा गया है कि इस बार गन्ने की आपूर्ति के लिए एसएमएस पर्ची को ही पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा। ऐसे में सभी किसान एप पर दिए गए विकल्प पर अपने मोबाइल का पंजीकरण सुनिश्चित करें। इसमें लापरवाही न की जाए, क्योंकि वह किसानों को भारी पड़ जाएगी।