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Cane up.in | E-Ganna UP | गन्ना पर्ची देखे 2023

गन्ना पर्ची देखे आधिकारिक वेबसाइट www.cane up.in के माध्यम या E- Ganna UP App से किसान यूपी गन्ना कैलेंडर पर्ची चेक कर सकते है।

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गन्ने की किसानी करने वाले किसानों को सुविधा प्रदान करने के लिए एक पोर्टल एवं ऐप लॉन्च किया गया है। जिसका नाम Cane UP Ganna पोर्टल और E-Ganna App है।

ई गन्ना एप के माध्यम से अपने गन्ने से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी को अपने एंड्रॉयड फोन में आसानी से प्राप्त कर सकता है। E-Ganna  app or cane up  in Portal  में उन्हें खेत और उसकी खेती, जोताई, रकबा, फसल गन्ना पर्ची तथा अन्य सभी तरह की जानकारी प्राप्त होगी। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इसकी जानकारी  उपलब्ध कराएंगे

UP Ganna Kisan Parchi Calendar | caneup.in
यूपी किसान नेट गन्ना पर्ची कलेंडर 2023 | cane up.in

UP Ganna Parchi  देखने के लिए कौन सा ऐप डाउनलोड करें?

गन्ना पर्ची देखने के लिए कौन सा ऐप डाउनलोड करें? उत्तर. उत्तर प्रदेश राज्य के गन्ना किसान गन्ना पर्ची कैलेंडर से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए ई गन्ना ऐप (E Ganna Cane UP App) डाउनलोड कर सकते है।

यूपी गन्ना किसान पर्ची कलेंडर व अपने सट्टे से जुड़ी सारी जानकारी www.caneup.in web portal या e-Ganna App Download करके  मोबाइल के जरिए पता कर सकता है।​ मोबाइल पर किसान पर्चियों के अलावा पिछले सालों के गन्ना सप्लाई की जानकारी भी ले सकते है।इससे किसानों को कोई काम होने पर गन्ना विभाग या शुगर फैक्टरी के चक्कर नहीं काटने होंगे। Caneup.in Online UP Ganna Kisan Parchi Calendar 2023  portal www can up.in, गन्ना भुगतान 2023

 

for more visit up Ganna Govermnet Website upcane.gov.in 

गन्ने का इतिहास     

गन्ने का मूल स्थान भारतवर्ष है। पौराणिक कथाओं तथा भारत के प्राचीन ग्रन्थों में गन्ना व इससे तैयार की जाने वाली वस्तुओं का उल्लेख पाया जाता है। विश्व के मध्य पूर्वी देशों सहित अनेक स्थानों में भारत से ही इस उपयोगी पौधे को ले जाया गया। प्राचीन काल से गन्ना भारत में गुड़ तथा राब बनाने के काम आता था।

उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में जावा, हवाई, आस्ट्रेलिया आदि देशों में जब सफ़ेद दानेदार चीनी का उद्योग सफलतापूर्वक चल रहा था, भारतवर्ष में नील का व्यवसाय उन्नति पर था जो जर्मनी में रंग बनाने की नई तकनीक विकसित होने पर मन्द पड़ गया।

इस परिस्थिति का लाभ भारत में चीनी उद्योग की स्थापना को मिला। सन् 1920 में भारत के तत्कालीन गर्वनर जनरल ने चीनी व्यवसाय की उज्जवल भविष्य की कल्पना करते हुए इण्डियन शुगर कमेटी की स्थापना की थी। वर्ष 1930 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की गन्ना उप समिति की सिफारिश पर एक ’ टैरिफ बोर्ड ’ की स्थापना की गयी जिसने भारत सरकार से चीनी उद्योग को आरम्भ में 15 वर्षों के लिये संरक्षण देने की सिफारिश की, फलत: भारत में सन् 1931 में चीनी उद्योग को संरक्षण प्रदान किया गया।

उत्तर प्रदेश में यद्यपि देवरिया के प्रतापपुर नामक स्थान पर 1903 में ही भारत की प्रथम प्राचीनत् चीनी मिल स्थापित हो चुकी थी परन्तु गन्ना क्रय-विक्रय की कोई संस्थापित पद्धति के अभाव में गन्ना किसानों को अनेकों कठिनाईयॉं होती थीं। भारत सरकार द्वारा पारित शुगर केन एक्ट 1934 द्वारा प्रदेशीय सरकारों को किसी क्षेत्र को नियंत्रित करते हुये वैक्यूम पैन चीनी मिलों द्वारा प्रयुक्त होने वाले गन्ने के न्यूनतम मूल्य निर्धारित करने के लिये अधिकृत किया गया।

उत्तर प्रदेश में सन् 1935 में गन्ना विकास विभाग विभाग स्थापित हुआ। सरकार ने गन्ना कृषकों की मदद की दृष्टि से ’ शुगर फैक्ट्रीज़ कन्ट्रोल एक्ट 1938 ’ लागू किया। वर्ष 1953-54 में इसके स्थान पर ’ उ0प्र0 गन्ना पूर्ति एवं खरीद विनियमन अधिनियम 1953 ’ लागू हुआ।

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